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विद्या भारती द्वारा आयोजित दिनांक 16 जुलाई से 17 जुलाई 2024 तक शीला अग्रवाल सरस्वती विद्या मंदिर, लोहरदगा में आयोजित 35 वां क्षेत्रीय समूह खेलकूद प्रतियोगिता में सरस्वती विद्या मंदिर, सिनीडीह ने शानदार प्रदर्शन करते हुए उपविजेता का खिताब प्राप्त किया।

इस प्रतियोगिता में तीन प्रांतीय समिति के खिलाड़ियों ने भाग लिया, जिनमें अपने विद्यालय के छात्रों ने सराहनीय प्रदर्शन किया। इस कबड्डी प्रतियोगिता में विद्यालय के भैया सुशील कुमार यादव, आशीष कुमार, कुणाल कुमार, दीपक कुमार, शुभम कुमार, सूरज कुमार, दीपांशु कुमार, कार्तिक कुमार, अनुज कुमार, अनीश कुमार, सूरज कुजूर ने भाग लिया था।

दिनांक 19 जुलाई 2024 को विद्यालय के वंदना सभा में समारोह आयोजित कर सभी खिलाड़ियों को ‌ मेडल एवं प्रशस्ति पत्र देकर सम्मानित किया गया। खिलाड़ी भैया को पुरस्कृत करते हुए विद्यालय के प्राचार्य श्री राकेश सिन्हा ने कहा कि प्रतिभा किसी का मोहताज नहीं होता है, वह समय पर प्रदर्शित हो ही जाता है। इस विद्यालय का एक गौरवशाली इतिहास रहा है कि खेल के क्षेत्र में इस विद्यालय के छात्र-छात्राओं ने प्रांतीय, क्षेत्रीय एवं अखिल भारतीय स्तर तक पर पुरस्कार प्राप्त कर अपनी पहचान बनाई।

यही नहीं विद्या भारती के हर प्रतियोगिता में,चाहे वह विज्ञान का क्षेत्र हो, गणित का क्षेत्र हो, तकनीकी का क्षेत्र हो, साहित्य का क्षेत्र हो, सांस्कृतिक कार्यक्रम का क्षेत्र हो या कोई अन्य प्रतियोगिता हो, हर वर्ष प्रत्येक वर्ग में इस विद्यालय के छात्र-छात्राओं ने विशिष्ट प्रदर्शन करते हुए पूरे अखिल भारतीय स्तर पर अपनी पहचान बनाई और विद्यालय के साथ-साथ इस क्षेत्र एवं विद्या विकास समिति, झारखंड का नाम रोशन किया।

अपने उद्बोधन में विद्यालय के वरिष्ठ शारीरिक आचार्य श्री मदन मोहन राय ने कहा कि इस विद्यालय के छात्र-छात्राओं ने खेल के क्षेत्र में सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन करते हुए हर वर्ष प्रांतीय, क्षेत्रीय एवं अखिल भारतीय खेलकूद में विशिष्ट पहचान बनाते हुए विद्या भारती ,झारखंड के नाम को रोशन किया। आने वाले समय में भी यही अपेक्षा है कि यह और बेहतर परिणाम दें।

इस अवसर पर विद्यालय के प्राचार्य श्री राकेश सिन्हा ने वरिष्ठ शारीरिक आचार्य श्री मदन मोहन राय एवं शारीरिक आचार्य श्री प्रवीण कुमार दास को बधाई देते हुए उनके कार्यों की सराहना की। कार्यक्रम को सफल बनाने में विद्यालय के आचार्य श्री सुधीर कुमार दास, नवल किशोर झा, श्री जितेंद्र कुमार दुबे, श्री धर्मेंद्र तिवारी के साथ-साथ सभी आचार्यों की महत्वपूर्ण भूमिका रही।

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