संस्कृत केवल देव भाषा ही नहीं जन भाषा भी -श्रीमती सुलेखा कुमारी दिनांक 16 जुलाई 2024 को सरस्वती विद्या मंदिर सिनीडीह में संस्कृत सप्ताह का शुभारंभ प्रधानाचार्य श्री राकेश सिन्हा के कर कमलों द्वारा दीप प्रज्वलन के साथ हुआ। यह कार्यक्रम 21 जुलाई 2024 तक चलेगा।
संस्कृत भाषा के महत्व को बदलते हुए संस्कृत विषय प्रमुख आचार्या श्रीमती सुलेखा कुमारी ने कहा कि संस्कृत ही एकमात्र ऐसी भाषा है जो देवभाषा के साथ-साथ जनभाषा भी है। वसुधैव कुटुंबकम् एवं सर्वे भवन्तु सुखिन: भारत की महान सांस्कृतिक परंपरा है। इन महान परंपरा को जीवंत रखने में संस्कृत का बहुत बड़ा योगदान है।
भैया बहनों के अंदर संस्कृत के प्रति रुचि जागृत करने के लिए यह आयोजन अति महत्वपूर्ण है। सप्ताह पर्यन्त चलने वाले इस कार्यक्रम में संस्कृत गीत, संभाषण, वाद- विवाद, सुभाषित, कथा -कथन, गीता पाठ, प्रश्नमंच, वस्तु प्रदर्शिनी आदि का आयोजन होगा। प्रधानाचार्य श्री राकेश सिन्हा ने कहा कि संस्कृत सभी भाषाओं की जननी है।
भारत के जितने भी प्राचीन ग्रंथ हैं सभी संस्कृत में हैं। हमारे वैदिक ग्रंथों में विज्ञान और गणित संबंधी जानकारी पूर्ण रूप से दी गई है। आज आवश्यकता है उसे जानने और समझने की। आधुनिक रिसर्च के अनुसार संगणक की भी उपयोगी भाषा संस्कृत को ही मानी गई है।
अतः इस भाषा को जानना और समझना हमारे लिए बहुत ही जरूरी है। इस कार्यक्रम में बहन तृषा लाला, नियति लाला, अवनि लाला, भैया नमन पाल, सौरव कुमार, आयुष्मान शर्मा, ओंकार नाथ तिवारी ने अपनी -अपनी प्रस्तुति देकर सबको भाव विभोर कर दिया। कार्यक्रम को सफल बनाने में आचार्य जितेंद्र दुबे, पीयूष बेरा, अजय कुमार पाण्डेय, नवल किशोर झा, मुरारी दयाल सिंह, अशोक कुमार सिंह, सुधीर कुमार दास तथा सभी आचार्य -दीदीजी की महत्वपूर्ण भूमिका रहीं।